“मेरे प्यारे दादा जी पर निबंध | Essay on My Grandfather in Hindi”

“बाँटे जो अच्छे संस्कार, सच्चाई का जो दे उपहार
मुझ पर लुटाए ढेर-सा प्यार, अच्छा है जिनका व्यवहार । “

ऐसे हैं मेरे प्यारे दादा जी – मेरे जीवन के आदर्श

“पाँच फुट आठ इंच का कद, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी मूँछें, आँखों में चमक और चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट—ये हैं मेरे प्यारे दादा जी। इस उम्र में भी वे जितने चुस्त-दुरुस्त हैं, उतनी ही उनकी सोच भी तेज़ और सकारात्मक है। उनसे मिलकर हर कोई प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। मैं स्वयं अपने दादा जी से अत्यधिक प्रभावित हूँ, क्योंकि वे मेरे जीवन के पहले गुरु और सबसे बड़े प्रेरणास्त्रोत हैं।”

दादा जी की दिनचर्या और उनका मिलनसार स्वभाव

  • “मेरे दादा जी हर रोज़ सुबह जल्दी उठते हैं और सैर के लिए पास के पार्क में जाते हैं। जब मेरी छुट्टी होती है, तो मैं भी उनके साथ पार्क जाता हूँ। वे धीरे-धीरे चलते हैं और मुझे उनके साथ चलने के लिए दौड़ना पड़ता है, लेकिन यह समय मेरे लिए बहुत खास होता है। पार्क में दादा जी के कई मित्र हैं, जो रोज़ाना उनके साथ हँसी-मज़ाक करते हैं और एक-दूसरे का मुस्कराकर अभिवादन करते हैं। उनके मिलनसार स्वभाव के कारण वे सबके प्रिय हैं।”

दादा जी का विनम्र और हँसमुख स्वभाव

  • “मेरे दादा जी न केवल हमारे परिवार के, बल्कि अपने पूरे समाज के लिए एक आदर्श व्यक्ति हैं। उनका स्वभाव अत्यंत विनम्र, हँसमुख और सकारात्मक है। वे जिस भी व्यक्ति को थोड़ा-सा भी उदास देखते हैं, उसे अपनी बातों और मुस्कान से तुरंत हँसने पर मजबूर कर देते हैं। उनका यही सरल और स्नेहमय व्यवहार उन्हें सभी का प्रिय बना देता है। चाहे परिवार हो या उनके मित्र, सब उनके इस स्वभाव की सराहना करते हैं।”Essay on My Grandfather in Hindi”

दूसरों के दुख में साथ निभाने वाले, और ज्ञान से भरपूर दादा जी

  • “मेरे दादा जी अत्यंत मिलनसार और सहृदय व्यक्ति हैं। उनके इस गुण के कारण वे हमारी कॉलोनी में सबके चहेते बन गए हैं। यदि किसी के घर कोई बीमार हो जाए या कोई परेशानी आ जाए, तो वे सबसे पहले वहाँ पहुँचते हैं और हर संभव सहायता करते हैं। दूसरों का दुःख-दर्द देखकर वे स्वयं व्याकुल हो उठते हैं, और उसे दूर करने का हरसंभव प्रयास करते हैं।Essay on My Grandfather in Hindi”
  • दादा जी धार्मिक विचारों वाले हैं। उन्हें धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों को पढ़ने का गहरा शौक है। उनके कमरे में एक अलमारी है जिसमें उन्होंने विभिन्न विषयों की पुस्तकें अत्यंत सहेज कर रखी हैं। रामायण, भागवत, उपनिषद जैसे ग्रंथों के साथ-साथ उनके पास विज्ञान, इतिहास और जीवन-दर्शन से जुड़ी पुस्तकें भी हैं। जब भी परिवार में किसी को किसी विषय पर जानकारी चाहिए होती है, तो हम सबसे पहले दादा जी के पास ही जाते हैं। वे सचमुच हमारे घर की चलती-फिरती ज्ञानकोश हैं।”

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