भूमिका
पालतू जानवर हमारे जीवन में खुशियाँ और अपनापन भर देते हैं। वे सिर्फ जानवर नहीं होते, बल्कि हमारे परिवार के सदस्य बन जाते हैं। ऐसा ही एक प्यारा सदस्य मेरे जीवन में भी है — मेरा पालतू कुत्ता, मोती। आज मैं अपने प्यारे मोती के बारे में अपना अनुभव और उसके साथ जुड़ी कुछ मीठी यादें साझा कर रहा हूँ।
मोती से पहली मुलाकात
पिछले वर्ष मेरे जन्मदिन पर मेरे चाचा जी ने मुझे एक छोटा-सा प्यारा पिल्ला उपहार में दिया। वह बहुत छोटा और नन्हा था, तभी से मेरे दिल के बेहद करीब हो गया। उसके गोल-गोल चमकते आँखों को देखकर मैंने उसका नाम “मोती” रखा।Essay On My Dog मोती: मेरा प्यारा कुत्ता
मोती का रूप और स्वभाव
मोती का रंग पूरी तरह सफेद है और उसके चेहरे पर एक छोटा सा काले रंग का निशान है, जो उसे और भी सुंदर बनाता है। उसकी लंबी पूँछ, चमकती आँखें और मासूम चेहरा हर किसी का दिल जीत लेता है। वह न सिर्फ प्यारा है, बल्कि बेहद चंचल और शरारती भी है।
दिनचर्या और खेलकूद
सुबह होते ही मोती मुझे जगाने आ जाता है। वह मेरे चेहरे पर चाटता है और कहता है जैसे, “उठो! चलो खेलते हैं।” हम दोनों रोज शाम को साथ में खेलते हैं। मैं गेंद फेंकता हूँ और वह उसे दौड़कर पकड़ लाता है। उसे खेलना बहुत पसंद है, खासकर बच्चों के साथ।
मोती की समझदारी और वफादारी
मोती सिर्फ खेल में ही अच्छा नहीं है, बल्कि वह बहुत वफादार और चालाक भी है। जब भी कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आता है, मोती तुरंत सचेत हो जाता है और भौंकने लगता है। वह दिन-रात घर की रखवाली करता है और हर समय सतर्क रहता है।
मोती की प्यारी आदतें
मोती की कुछ आदतें बहुत ही प्यारी हैं। जब उसे भूख लगती है तो वह झूठ-मूठ भूखा बनकर मुझे घूरता है, जब तक उसे कुछ खाने को न दे दूँ। वह मेरे पिता जी के बहुत करीब है और उन्हें कहीं अकेले नहीं जाने देता। जब वह बाहर जाते हैं, तो मोती उनके पीछे-पीछे दौड़ता है।
स्वच्छता और देखभाल
हालांकि वह बहुत शरारती है, लेकिन मोती कभी गंदा नहीं रहता। मैं उसे समय-समय पर नहलाता हूँ और डॉक्टर के पास भी ले जाता हूँ ताकि वह हमेशा स्वस्थ और तंदुरुस्त रहे।Essay On My Dog मोती: मेरा प्यारा कुत्ता
निष्कर्ष
मोती मेरे जीवन का एक अनमोल हिस्सा है। उसकी मासूमियत, समझदारी और नटखटपन ने मेरे जीवन को खुशियों से भर दिया है। वह सिर्फ एक कुत्ता नहीं, बल्कि मेरा सच्चा दोस्त और साथी है।
अगर आपके पास भी कोई पालतू है, तो आप जरूर समझ सकते हैं कि एक जानवर भी इंसान से कितना जुड़ सकता है।
आपका क्या अनुभव है अपने पालतू जानवर के साथ? कमेंट में ज़रूर बताएं!