Story in hindi रंग-बिरंगे सपनों का सौदागर: रामू चाचा गुब्बारे वाले

प्रस्तावना

बचपन का नाम लेते ही मन में जो पहली तस्वीर उभरती है, वह होती है—खुशियों से भरा आसमान, स्कूल की छुट्टी, और मोहल्ले के नुक्कड़ पर खड़ा कोई गुब्बारे वाला। मेरे बचपन की ऐसी ही एक अनमोल याद है “रामू चाचा”, जिनकी रंग-बिरंगी गुब्बारों की दुनिया ने मेरे जैसे न जाने कितने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला दी।

रामू चाचा का परिचय

उनका नाम था रामू, लेकिन बच्चे उन्हें प्यार से “रामू चाचा” बुलाते थे। हाथ में रंग-बिरंगे गुब्बारों का गुच्छा लिए जब वे “गुब्बारे ले लो, गुब्बारे!” की आवाज़ लगाते, तो हम बच्चे दौड़कर उनके पास पहुँच जाते। उनकी पहचान थी – लाल, पीले, हरे, नीले, गुलाबी, और चटक रंगों के गुब्बारों से भरी बांस की लंबी डंडी।Essay in hindi रंग-बिरंगे सपनों का सौदागर: रामू चाचा गुब्बारे वाले

बच्चों के चेहरों पर मुस्कान

रामू चाचा का हर दिन मोहल्ले के बच्चों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं होता। वे साइकिल पर छोटा-सा सिलिंडर और पंप लेकर आते, जिससे वे गुब्बारों में हवा भरते थे। बच्चों की पसंद के अनुसार वे दिल, फूल, खरगोश या जानवर की आकृति वाले गुब्बारे भी बना देते थे।

उड़ान और उमंग

रामू चाचा केवल गुब्बारे नहीं बेचते थे, वे सपने उड़ाते थे। जब गुब्बारे आकाश में उड़ते, तो लगता जैसे हमारे सपने उड़ रहे हों। उनकी मुस्कान, मीठी बातें, और बच्चों के साथ उनका स्नेह बच्चों को उनसे जोड़ देता था।

संघर्ष और सम्मान

रामू चाचा आर्थिक रूप से गरीब थे, लेकिन दिल से बहुत अमीर। वे अपने छोटे-से काम से न सिर्फ अपनी आजीविका चलाते थे, बल्कि दूसरों के जीवन में खुशियाँ भी बाँटते थे। उनके जैसे मेहनती और खुशमिज़ाज व्यक्ति को समाज का सच्चा नायक कहा जाना चाहिए।Essay in hindi रंग-बिरंगे सपनों का सौदागर: रामू चाचा गुब्बारे वाले

निष्कर्ष

रामू चाचा केवल गुब्बारे नहीं बेचते थे, वे हर बच्चे के बचपन का एक खूबसूरत हिस्सा थे। उनका सादापन, सच्चाई और बच्चों के लिए उनका प्रेम आज भी मेरे दिल को छू जाता है। वे हमें यह सिखा गए कि खुशियाँ बाँटने के लिए बड़ा होना ज़रूरी नहीं, बस दिल बड़ा होना चाहिए।

क्या आपके बचपन में भी ऐसा कोई “गुब्बारों वाला” था?

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